FBS क्या है

प्रेगनेंसी के समय होने वाले कुछ टेस्ट माँ के शरीर की जांच करने में मददगार होते हैं तो कुछ टेस्ट से बच्चे के विकास और स्थिति का पता लगाया जाता है।
Type 2 Diabetes: क्या है टाइप 2 डायबिटीज, कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, ये है पूरा चार्ट
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 15 Aug 2021 12:24 AM (IST)
Diabetes Type 2: बदलती लाइफस्टाइल और खाने-पीने में लापरवाही की वजह से आजकल हार्ट, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन चुकी है डायबिटीज. शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से लोग डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. देश में करीब 77 मिलियन से ज्यादा लोग मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं. डायबिटीज के तीन प्रकार हैं जिसमें टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल है. लोगों में सबसे ज्यादा डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ रहा है. डॉक्टर्स की मानें तो करीब 95 प्रतिशत लोग टाइप 2 के FBS क्या है मरीज हैं. जानते हैं टाइप 2 डायबिटीज क्या है और कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल?
क्या है टाइप 2 डायबिटीज?
शरीर में अग्नाशय यानी पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करता है. इस हार्मोन से ब्लड में मौजूद शुगर लेवल को बॉडी सेल्स इस्तेमाल करते हैं. इंसुलिन से शरीर में शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज होने पर शरीर इंसलिन के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं करता है. जिससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. इससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. टाइप 2 डाइबिटीज होने के पीछे खराब लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस, नींद की कमी, मोटापा और ब्लड-प्रेशर मुख्य वजह हैं.
ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet)
ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet) एक दवा है जो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों का इलाज करती है। इस दवा का उपयोग डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है; यह एक इलाज नहीं है। यह दवा दो एंटीडायबिटिक दवाओं यानि ग्लिम्पिराइड और मेटफोर्मिन का एक संयोजन है। ये दवाएं सल्फोनीलुरिया और बिग्यूनाइड एंटीडायबिटिक दवा वर्ग से संबंधित हैं। और इंसुलिन जारी करने में अग्न्याशय की मदद करके काम करती है।
ग्लुकोनोर्म-जी 1 टैबलेट (Gluconorm-G 1 Tablet) का प्रयोग समन्वित रूप से किया जाता है क्योंकि अकेले या तो पर्याप्त ग्लाइसेमिक नियंत्रण FBS क्या है में परिणाम नहीं होता है। अकेले आहार या इंसुलिन के साथ उपचार की तुलना में मौखिक एंटीडायबिटिक दवाओं के प्रशासन को हृदय की मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जोड़ा गया है।
यह टैबलेट ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। एलर्जी के किसी भी रूप पर डॉक्टर के साथ चर्चा की जानी चाहिए।अपने चिकित्सक से परामर्श करें यदि आपका किडनी या लिवर रोगों का इतिहास है। हाइपोग्लाइसीमिया को 85 ग्राम तक मेटफॉर्मिन के अंतर्ग्रहण के साथ नहीं देखा गया है, हालांकि ऐसी परिस्थितियों में लैक्टिक एसिडोसिस हुआ है।
ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट क्या है?
What is the glucose challenge screening test? in hindi
Glucose FBS क्या है challenge screening test kya hai in hindi
ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के पहले आपको किसी खास तैयारी की ज़रूरत नहीं होती है।
टेस्ट के दौरान, सबसे पहले प्रेग्नेंट महिला का ब्लड सैम्पल लिया जायेगा और फिर बाद में महिला को ग्लूकोज़ सौल्युशन (glucose solution) पीने के लिए दिया जाएगा।
इसके लगभग एक घंटे के बाद ब्लड सैंपल फिर से लिया जायेगा। दरअसल, ग्लूकोज़ सौल्युशन लेने के एक घंटे के अंदर ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
अगर आपके ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणाम आपके ब्लड में ग्लूकोज़ के बढ़े स्तर को दिखाते हैं, तो संभव है कि आपका शरीर अतिरिक्त ग्लूकोज़ को अब्जॉर्ब करने के लिए पर्याप्त FBS क्या है इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर रहा है।
ऐसी स्थिति में स्क्रीनिंग के परिणाम पॉज़िटिव आने पर डॉक्टर महिला को ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
गर्भवस्था के दौरान ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कैसे किया जाता है?
How glucose tolerance test is done during pregnancy? in hindi
Garbhavastha ke dauran glucose tolerance test kaise kiya jata hai in hindi
ग्लूकोज़ टेस्ट की तैयारी के तौर पर आपको खाली पेट रहना होगा, इसलिए इस टेस्ट की सिफारिश सुबह-सुबह की जाती है।
ग्लूकोज़ FBS क्या है टॉलरेंस टेस्ट के दौरान सबसे पहले आपका ब्लड सैंपल लिया जायेगा और फिर उस सैंपल के माध्यम से आपके ब्लड में बेसलाइन ग्लूकोज़ के स्तर (baseline glucose level) का पता लगाया जाएगा।
इस टेस्ट को फास्टिंग ग्लूकोज़ टेस्ट (fasting glucose test/fasting blood sugar FBS) भी कहा जाता है।
ब्लड सैम्पल लेने के बाद आपको ग्लूकोज़ पीने के लिए दिया जाएगा, जैसे प्रारंभिक ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट के दौरान दिया गया था।
इसके बाद अगले तीन घंटे तक हर घंटे आपका ब्लड सैम्पल लेकर टेस्ट किया जाएगा।
FBS के शरीर लहर मोटे बंडल रंग आईबी 613 ग्रेड रूसी 613 गोरा कुंवारी ब्राजील के बाल एक्सटेंशन
CN Manufacturer, FBS क्या है Trading Company, Distributor/Wholesaler
खून की जांच से पहले क्यों रहना होता है खाली पेट? जानें क्या है इसका मुख्य कारण
Written by: Vishal Singh Updated at: Jul 02, FBS क्या है 2020 16:39 IST
स्वास्थ्य की सही जानकारी लेने के लिए अक्सर कई ऐसे टेस्ट होते हैं जिनमें मरीज की जांच खाली पेट की जाती है, ऐसे ही कुछ खून की जांच (Blood Test) ऐसी हैं जिनकी जांच भी FBS क्या है खाली पेट ही करनी होती है। ऐसे में कई लोगों को कमजोरी के कारण चक्कर आना और थकावट महसूस होने लगती है, हालांकि वो जांच के बाद कुछ खा सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि ब्लड टेस्ट यानी खून की जांच से पहले आपको भूखा क्यों रहना पड़ता है या खाली पेट क्यों जांच की सलाह दी जाती है। अगर नहीं जानते तो कोई नहीं आपकी तरह ज्यादातर लोग इसके पीछे का कारण नहीं जानते, तो हम आपको इस लेख में बताते हैं कि आखिरकार क्यों डॉक्टर आपको खाली पेट जांच की सलाह देता है।
खाली पेट खून की जांच के कारण
ब्लड टेस्ट (Blood Test) से पहले खाली पेट रहना इसलिए जरूरी होता है कि क्योंकि खाली पेट आपका खून बिलकुल साफ होता है और वो सही परिणाम बताता है। आपको बता दें कि विटामिन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन जो सभी खाद्य और पेय पदार्थ बनाते हैं ये आपके खून और जांच के परिणामों को प्रभावित करते है और आपके ब्लड लेवल रीडिंग पर भी बुरा असर डालते हैं, जिसके कारण आपकी जांच या परिणाम गलत आते हैं।
- रक्त शर्करा परीक्षण।
- लिवर की जांच।
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर पता लगाने के लिए।
- ट्राइग्लिसराइड स्तर परीक्षण।
- एचडीएल स्तर की जांच।
- एलडीएल स्तर की जांच।
- गुर्दे से संबंधित में खाली पेट रहना जरूरी है।
- लिपोप्रोटीन पैनल।
इसके साथ ही अगर आपका डॉक्टर आपके लिए एक नया ब्लड टेस्ट(Blood Test) करना चाहते हैं तो वो आपको टेस्ट से पहले बताएगा कि आपको कितनी देर पहले खाली पेट रहना होगा या आपको इसकी जरूरत ही नहीं है।
कितनी देर रहना चाहिए खाली पेट
अक्सर लोगों के मन में ये सवाल होता है कि हमे ब्लड टेस्ट (Blood Test)के लिए कितनी देर या कब तक कुछ नहीं खाना है, इसका जवाब आपको वैसे तो डॉक्टर ही FBS क्या है देता है। लेकिन ज्यादातर ब्लड टेस्ट में करीब 8 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए, इस बीच आप सिर्फ पानी पी सकते हैं जो आपके स्वास्थ्य में किसी तरह की कोई बाधा पैदा नहीं करता। इसके अलावा अगर आपकी कोई गंभीर जांच है तो आपको डॉक्टर 12 घंटे तक कुछ न खाने की सलाह भी दे सकते हैं। जिससे की आपका परिणाम बिलकुल सही सामने आ सके।
आप ही नहीं बल्कि ज्यादातर लोगों को लगता है कि खून की जांच (Blood Test) से पहले कॉफी पीने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता ये एक तरल पदार्थ है, जबकि आपको अंदाजा नहीं है ये आपके परिणाम को बदल सकता है। आपको बता दें कि कॉफी रक्त परीक्षण के परिणामों में बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है, क्योंकि कॉफी में मौजूद कैफीन और घुलनशील पदार्थ आपके खून में मिल जाते हैं। इसलिए आपको सिर्फ ब्लड टेस्ट के लिए पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करना चाहिए, जिससे की आपकी खून की जांच बिलकुल सही आए।