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इंडिकेटर्स

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कोर्स का परिचय: इंडीकेटर्स का उपयोग करके प्रभावी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीएस का निर्माण

इस दौर में, जब वैश्विक और डोमेस्टिक फंड मार्केट पर हावी होने लगते हैं, तब धारणा यह है कि एक स्वतंत्र व्यापारी का लाभधारी ट्रेड लेना अधिक कठिन हो गया है। लेकिन, सच्चाई यह है कि कुछ ट्रेडिंग ट्रिक्स और थोड़ा सामान्य ज्ञान आपको संयुक्त तकनीकी विश्लेषण की सभी पुस्तकों की तुलना में अधिक लाभदायक हो सकता है ।

इस दस भाग की सीरीज़ में, मैं आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ इंडिकेटर्स लेकर उन्हें कम्बाइन इंडिकेटर्स करके आपको लाभदायक ट्रेडिंग सिस्टम बनाने के स्टेप्स बताऊंगा। मेरा उद्देश्य आपको एक प्रारंभिक बिंदु देना है ताकि आप इन विचारों या अवधारणाओं को ले सकें और उन्हें एक योजना में ढाल सकें जो आपके लिए काम करेगी।

एक ट्रेडिंग योजना का निर्माण

एक बढ़िया ट्रेडिंग सिस्टम बनाने के 3 महत्वपूर्ण तत्व होते हैं: एंट्री और एग्जिट सिग्नल, नुकसान को रोकने के लिए एक ट्रेडिंग प्लान और पैसों के प्रबंधन की एक बढ़िया स्ट्रैटेजी।

पहला चरण बाय या सेल सिग्नल उत्पन्न करना होता है जो एक ट्रेडर से दूसरे तक भिन्न, पूर्णतः विजुअल या किसी तकनीकी इंडिकेटर का परिणाम या किन्ही दो या अधिक इंडिकेटर्स का क़ॉंबिनेशन हो सकते हैं।

इंडिकेटर्स को गलत तरीके से कम्बाइन करने से भ्रम अथवा गलत व्यापारिक निर्णय हो सकते हैं। इसलिए, क़ॉंम्बिनेशंस पर काम करने से पहले हर इंडिकेटर के क्लासिफिकेशन की मूल समझ आवश्यक है।

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इंडिकेटर्स के प्रकार

इंडिकेटर्स, प्राइज़ एक्शन की बुनियादी शक्तियों और कमजोरियों को प्रकट करने में मदद करता है जो केवल प्राइज़ या वॉल्यूम से पता नहीं लगाए जा सकते।

सभी टेक्निकल इंडिकेटर्स को मुख्यतः 4 प्रकारों में बांटा जा सकता है-

ट्रेंड इंडिकेटर्स आपको बताते हैं कि मार्किट किस दिशा मेंबढ़ रहा है या कैसी ट्रेंड पैटर्न है। मूविंग एवरेजेस, सुपरट्रेंड एंड परबोलिक एसएआर जैसे सामान्य ट्रेंड इंडिकेटर्स, प्राइज़ या ओसिलेटर्स(MACD) कहे जानेवाले अन्य संकेतों पर ओवरले किए जाते हैं क्योंकि वे हाई और लो वैल्यूज के बीच लहरों की तरह चलते हैं।

मोमेंटम इंडिकेटर्स बताते हैं कि ट्रेंड कितना स्ट्रॉंग है और यह भी प्रकट करते हैं कि क्या यह पलटेगा। ये प्राइज़ टॉप्स और बॉटम्स अर्थात रिवर्सल्स पकड़ने के लिए उपयोगी हो सकते हैं। मोमेंटम इंडिकेटर्स में रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), स्टोक़ैस्टिक, एवरेज डायरेक़्श्नल इंडेक्स (ADX) शामिल हैं।

वॉल्यूम इंडिकेटर्स आपको बताते हैं कि वॉल्यूम समय के साथ कैसे बदल रही है, एक समय में कितनी यूनिट्स बेची और खरीदी जा रही हैं। यह उपयोगी है क्योंकि जब कीमत बदलती है तो वॉल्यूम इसकी स्ट्रौंग का संकेत होता है। लो वॉल्यूम की तुलना में हाई वॉल्यूम पर बुलिश मूव्स ज़्यादा बनी रहती हैं। वॉल्यूम इंडिकेटर्स में ऑन-बैलेंस वॉल्यूम, वॉल्यूम रेट ऑफ चेंज आदि शामिल हैं।

वोलैटिलिटी इंडिकेटर्स बताते हैं कि किसी विशिष्ट अवधि में कीमतें कितनी बदली हैं। ट्रेडर्स के लिए वोलैटिलिटी मार्किट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना वे पैसा नहीं कमा सकते। जितनी ज़्यादा वोलैटिलिटी उतनी ही ज़्यादा तेज़ी से प्राइज़ बदलती है। यह आपको प्राइज़ की दिशा के विषय में कुछ पता नहीं बताता, केवल इंडिकेटर्स प्राइज़ कि रेंज बताता है। कम वोलैटिलिटी, प्राइज़ की छोटी मूव्स दर्शाता है और हाई वोलैटिलिटी बड़ी प्राइज़ मूव्स। उदाहरण-बोलिंगर बैंड्स, एटीआर

टेबल: इंडिकेटर्स का वर्गीकरण

अपने इंडिकेटर्स को ध्यान से चुनें

एक अकेला इंडिकेटर आपको अमीर नहीं बना सकता। हर इंडिकेटर की अपनी कुछ लिमिटेशंस होती हैं और वह 100% सही नहीं हो यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन, आप इन इंडिकेटर्स को कम्बाइन करके बहतर सिगनल्स पा सकते हैं और ज़्यादा फायदेमंद ट्रेड्स ले सकते हैं।

हालांकि, ध्यान रखें कि ट्रेडिंग सिगनल्स उत्पन्न करने के लिए एक ही वर्ग के दो सिगनल्स का उपयोग ना करें जैसे पैराबोलिक एसएआर और सुपरट्रेंड या आरएसआई और स्टोक़ैस्टिक जैसे मोमेंटम इंडिकेटर्स। इससे नीचे के उदाहरण जैसी एक ही जानकारी मिलेगी जो उपयोगी नहीं होगी। सभी संकेतकों के उतार-चढ़ाव वर्टिक़ल लाइंस के हाई और लो के रूप में नीचे दिए गए इमेज में दर्शाया गया हैं।

आनेवाले हफ्तों में इंडिकेटर्स की विशिष्ट जोड़ियों के साथ ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज़ डिस्कस करेंगे और बताएँगे कि एक प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग सिस्टम बनाने के लिए आप पैरामीटर कैसे सेट कर सकते हैं।

इस सीरीज के अगले आर्टिकल में हम आपको परबोलिक SAR और स्टोकेस्टिक इंडीकेटर्स को संयोजित करने में सहयता करेगा। अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.

Arshad Fahoum

Arshad Fahoum

Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.

हमारे पहले कैंडल का ओपन टाइम अब मार्किट के ओपन टाइम से मेल खाएगा!

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इस से कैन्डल का समय कैसे बदलेगा?

जिस टाइम फ़्रेम का आप अनुसरण करते हैं उसके अनुसार, एनएसई पर दिन का पहला कैन्डल निम्न समय पर शुरू होगा।

एमसीएक्स यूजर्स के लिए बदलाव केवल 2 घंटे और 4 घंटे के चार्ट्स में होगा।सुबह 9.00 बजे एक्स्चेंज खुलने पर बाकी सभी क़ैंडल्स वैसी ही रहेंगी जैसी हैं।


हम यह क्यों कर रहे हैं?

पहले मार्केट पल्स ने 24 घंटे व्यापार करने वाले विदेशी मुद्रा बाज़ारों के मानक समय अनुसार चार्ट सेट किए थे। लेकिन एनएसई के 9.15 पर शुरू होने के कारण अगर आप 30 मिनट, 1 घंटा, 2 घंटे और 4 घंटे जैसी लंबी समय सीमा में कैन्डल के पूरे समय को पकड़ नहीं पा रहा था।

यह बदलाव करने से दिन की आखरी कैन्डल छोटी हो जाती है। लेकिन डे ट्रेडिंग के लिए पहले कैन्डल को पूरी तरह से पकड़ना ज़्यादा उपयुक्त होगा। इसके अलावा, अधिकतर अन्य चारतींग प्लैटफ़ार्म भी इस कायदे का पालन करते हैं। तो अगर आप मार्केट पल्स का उपयोग विश्लेषण के लिए करते हैं और दूसरे प्लैटफ़ार्म पर विश्लेषण करने या ट्रेड करने जाते हैं तो आपको एक समान अनुभव होगा।

मेरे इंडिकेटर्स, अलर्ट्स और स्कैनरस का क्या होगा?

जैसे-जैसे क़ैंडल्स का समय बदलेगा, इस से इंडिकेटर्स की वैल्यू में बदलाव आ सकता है जिसके कारण आपके अलर्ट और स्कैनर अगले 2-3 दिनों के लिए बढ़ सकते हैं जो आपके लिए अवांछनीय होंगे। हालांकि, यह छोटी समय सीमाओं (5 मिनट,10 मिनट,15 मिनट) के लिए 1 दिन और लंबी समय सीमाओं (30 मिनट, 1 घंटे) के लिए अधिकतम 3-4 दिनों में में सामान्य हो जाएगा।

इस संबंध में किसी भी प्रश्न के लिए कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें: 02248972681 / 02248972682 9am से 6 pm तक.

Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.

Arshad Fahoum

Arshad Fahoum

Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.

भारत में किसे गरीब माना जाता है, सरकार किस आधार पर गरीबी तय करती है?

MPI

नई दिल्ली। हाल ही में मल्टीडाइमेंशनल गरीबी पर नीति आयोग ने एक लिस्ट जारी किया था। इस लिस्ट में बिहार को सबसे गरीब राज्य और केरल को सबसे कम गरीब राज्य घोषित किया गया था। नीति आयोग ने इस लिस्ट में माना था कि बिहार की 52 फीसदी आबादी गरीब है, जबकि झारखंड में 42.16 फीसदी लोग गरीब हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में करीब 38 फीसदी और मध्यप्रदेश में करीब 37 फीसदी लोग गरीब है। लेकिन यहां पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर भारत में गरीब किसे माना जाता है और सरकार किस आधार पर यह तय करती है कि ये नागरिक गरीब है। चलिए आज हम जानते हैं।

भारत में गरीबी की परिभाषा

भारत में कैलोरी के उपभोग को गरीबी के मापदंडों के रूप मे स्वीकार किया गया है। भारतीय योजना आयोग के इंडिकेटर्स अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी से कम उपभोग करने वाले लोगों को गरीब या निर्धन माना जाता है। हालांकि देश में गरीबी मापने के अलग-अलग पैमाने हैं। लेकिन नीति आयोग ने जो लिस्ट जारी किया है, उसे MPI के आधार पर तैयार किया गया है। MPI गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और लाइफ़ स्टाइल के कुछ महत्वपूर्ण और बुनियादी मानकों के आधार पर परिभाषित करती है।

ये MPI क्या है?

25 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 सस्टेनेबल डिवेलप्मेंट गोल्स (SDG) तय किए थे। SDG का सबसे बड़ा मकसद हर जगह और सभी रूपों में गरीबी को समाप्त करना है। SDG में यह भी साफ़ तौर पर कहा गया है कि गरीबी किसी एक मानक से तय नहीं की जा सकती। इसी वजह से MPI को विकसित किया गया। MPI से UN को दुनियाभर में गरीबी की स्थिति का आंकलन करने में मदद मिलती है। MPI की गणना कुछ अलग-अलग मानकों (इंडिकेटर्स) के आधार पर होती है। इसका एक लेखा-जोखा भी संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बनाया है। हालांकि, हर देश अपनी स्थिति के मुताबिक़ इन इंडिकेटर्स में थोड़ा बहुत बदलाव कर सकता है।

भारत में MPI की गणना कैसे होती है?

भारत में MPI की गणना 12 इंडिकेटर्स के आधार पर की जाती है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रेग्नन्सी के दौरान देखभाल, स्कूली शिक्षा के साल, स्कूल में उपस्थिति और खाना पकाने में कौन से ईंधन का इस्तेमाल होता है, जैसे इंडिकेटर्स शामिल हैं। इसके अलावा स्वच्छता, पीने के पानी की उपलब्धता, बिजली है या नहीं, घर है या नहीं, संपत्ति कितनी है और बैंक या पोस्ट ऑफ़िस में खाता है या नहीं, इन्हें भी 12 इंडिकेटर्स में शामिल किया गया है। अब सवाल यह कि MPI के लिए ये आंकड़े कैसे जुटाए गए?

आमदनी के आधार पर गरीबी

बतादें कि भारत में गरीबी मापने वाली अलग-अलग प्रक्रिया की वजह से वास्तव में गरीब लोगों की संख्या का आकलन करना बहुत मुश्किल है। आमदनी के आधार पर अगर भारत में गरीबr को देखे तो तेंदुलकर समिति (2009) के अनुसार शहरी क्षेत्र में रह रहे परिवारों के संदर्भ में गरीबी रेखा को 1000 रूपये प्रति माह और ग्रामीण परिवारों के लिए 816 रूपये प्रति महीन निर्धारित किया गया था।

उम्मीद से बेहतर हो रहा इकॉनमी में सुधार, तमाम इंडिकेटर्स कर रहे इशारे

Indian economy in 2020: तमाम इंडिकेटर्स बता रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से सुधार के रास्ते पर बढ़ रही है। नवंबर के महीने में कंजप्शन और प्रोडक्शन के स्तर पर सुधार दिख रहे हैं.

उम्मीद से बेहतर हो रहा इकॉनमी में सुधार, तमाम इंडिकेटर्स कर रहे इशारे

TV9 Hindi | Edited By: शशांक शेखर

Dec 23, 2020 | 1:22 PM

ब्रिटेन में कोरोना के नए रूप (New coronavirus strain in the UK) सामने आने से तात्कालिक असर जरूर दिख रहा है, लेकिन तमाम इंडिकेटर बता रहे हैं कि देश की इकॉनमी में उम्मीद से बेहतर सुधार (Economic recovery) हो रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर महीने में सभी प्रमुख इंडिकेटर में सकारात्मक बदलाव आए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के असर से पूरी तरह मुक्त होने में अभी वक्त लगेगा.

Care Ratings इकनॉमिक कमबैक मीटर (CECM) के आधार पर अगस्त का स्कोर 0.58, सितंबर का स्कोर 1.1, अक्टूबर का स्कोर 1.79 और नवंबर का स्कोर 2.62 रहा है. CECM स्कोर में 0-5 स्कोर को ‘on comeback path (सुधार के रास्ते पर)’ माना जाता है, जबकि 5-8 के बीच स्कोर को कमबैक माना जाता है. ऐसे में इकॉनमी सुधार के रास्ते पर जरूर है, लेकिन सही मायने में सुधार से काफी दूर है.

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इकॉनमी की सेहत का हाल

केयर रेटिंग्स इकॉनमी में सुधार को मुख्य रूप से तीन पहलुओं- प्रोडक्शन, कंजप्शन और इन्वेस्टमेंट के आधार पर मापता है. प्रोडक्शन के मोर्च पर इकॉनमी की सेहत का कैलकुलेशन पावर जेनरेशन, ई-वे बिल, नॉन ऑयल गोल्ड इंपोर्ट के आधार पर तैयार किया जाता है. कंजप्शन का अंदाजा पैसेंजर्स कार औ दोपहिया वाहनों की बिक्री, पेट्रोल कंजप्शन और जीएसटी कलेक्शन के आधार पर निकाला जाता है. इन्वेस्टमेंट का मापतौल बैंक क्रेडिट में तेजी और बाजार में कितना कर्ज बांटा गया, इस आधार पर किया जाता है.

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सर्विस सेक्टर में तेजी से सुधार

इंडियन इकॉनमी में सर्विस सेक्टर का बहुत बड़ा योगदान है. पिछले दो महीने से इस सेक्टर में सुधार दिख रहा है. सर्विस पीएमआई इंडेक्स (Services Purchasing Managers Index) नवंबर महीने में 53.7 रहा, जबकि अक्टूबर में यह 54.1 रहा था. 50 से ऊपर स्कोर को सुधार माना जाता है. 50 से नीचे के स्कोर को गिरावट के रूप में देखा जाता है.

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में मामूली गिरावट

हालांकि मैन्युफैक्चरिंग इंडिकेटर्स पीएमआई इंडेक्स (Manufacturing PMI Index) में थोड़ी गिरावट आई है. नवंबर महीने में यह 56.3 था जो अक्टूबर के महीने में 58 तक पहुंच गया था. दूसरी तरफ नवंबर महीने में निर्यात में मामूली गिरावट दर्ज की गई. पिछले साल के मुकाबले नवंबर में निर्यात में 8.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.

कंजप्शन में आया सुधार

हालांकि कंजप्शन के मोर्चे पर नवंबर में अच्छी खबर आई थी. नवंबर में पैसेंजर्स वीइकल की बिक्री में 4.7 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी. शॉपरट्रैक की रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली और दशहरा के दौरान रीटेल डिमांड में काफी तेजी आई थी. पिछले साल के मुकाबले इसमें 44 फीसदी की गिरावट थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद पहले फेस्टिव सीजन में अच्छी डिमांड रही.

माननीय वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ. भागवत कराड का दो दिवसीय जमशेदपुर दौरा में एसएलबीसी की इंडिकेटर्स बैठक एवं आकांक्षी जिला इंडिकेटर्स की करेंगे समीक्षा, पोटका में परिसम्पत्ति वितरण कार्यक्रम में भी होंगे शामिल।

डॉ. भागवत कराड, माननीय वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार 14 एवं 15 जून को दो दिसवीय दौरे पर जमशेदपुर में रहेंगे । इस दौरान माननीय मंत्री, भारत सरकार द्वारा 14 जून को समाहरणालय सभागार में आयोजित एसएलबीसी बैठक की अध्यक्षता करेंगे वहीं अपराह्न 03 बजे आकांक्षी जिला इंडिकेटर्स की समीक्षा बैठक जिले के पदाधिकारियों के साथ करेंगे। 15 जून को माननीय मंत्री, भारत सरकार का फिल्ड विजिट का कार्यक्रम है, इस दौरान सदर अस्पताल, जमशेदपुर, जमशेदपुर स्थित पीडीएस दुकान का निरीक्षण, मॉडल आंगनबाड़ी केन्द्र, नांदुप, गोलमुरी, मेगा स्कील सेंटर हाटा, पोटका, कस्तूरबा गांधी विद्यालय पोटका का निरीक्षण एवं पोटका प्रखंड परिसर में आयोजित परिसम्पत्ति वितरण कार्यक्रम में शामिल होने का संभावित कार्यक्रम है ।

माननीय वित्त राज्य मंत्री, भारत सरकार के दौरे को लेकर उपायुक्त- सह- जिला दण्डाधिकारी श्रीमती विजया जाधव द्वारा सभी संबंधित पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए आवश्यक सौजन्य प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।

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